यह कई रूपो में एक विशिष्ट विश्वकोश है | अभी तक हिन्दी में समाजविज्ञान विषय पर इतना विस्तृत विश्वकोश प्रकाशित नहीं हुआ है | अबतक जीतने भी शब्दकोश प्रकाशित हुए हैं उनमें अनुवाद, तथ्य, उच्चारण एवं वर्तनी सम्बंधित अनगिनत कमियाँ देखने को मिलीं है | अतः इसमे शब्दों के अनुवाद, वर्तनी, नवीनतम तथ्य एवं उच्चारण पर काफ़ी अनुसंधान कर किसी अंतिम निर्णय पर पहुँचा गया है | यहाँ इस बात की पूरी कोशिश की गयी है कि शब्दों के सही उच्चारण के साथ-साथ समाजविज्ञान की नवीनतम अंतर्वस्तु को ध्यान मे रखकर अनुवाद एवं विश्लेषण किये जाएँ | इस कोश मे ६००० से भी अधिक शब्दावलियों का विश्लेषण लगभग चार लाख शब्दों के माध्यम से किया गया है |
ओक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस तथा भारत सरकार द्वारा प्रकाशित विभिन्न सामान्य एवं तकनीकी शब्द्कोशो, हरदेव बाहरी द्वारा रचित अँग्रेज़ी-हिन्दी परिभाषिक शब्दकोश एवं फ़ादर कामिल बुल्के द्वारा रचित अँग्रेज़ी-हिन्दी कोश को ध्यान मे रखकर इस विश्वकोश की रचना समाजविज्ञान के एक मानक कोश के रूप मे करने की चेष्टा की गयी है | लेकिन, इस विश्वकोश मे अनगिनत ऐसे शब्द अवश्य है, जो उपयुक्त शब्द्कोशो या समाजशास्त्र के किसी भी शब्दकोश मे अबतक शामिल नहीं हो पाए हैं | इस विश्वकोश मे ऐसे अनगिनत शब्दों को शामिल किया गया है, जिनका सम्बन्ध मूलरूप से एशियाई देशों की सामाजिक व्यवस्था एवं संस्कृति से है | पाश्चात्य देशों से प्रकाशित समाजविज्ञान कोशो में वैसे शब्दों को दरकिनार कर दिया जाता है, इसके बावजूद कि वे उन देशों के समाजविज्ञान की दृष्टि से काफ़ी महत्वपूर्ण है |
यहाँ इस बात की पूरी कोशिश की गयी है कि प्रत्येक दृष्टि से यह हिन्दी मे एक मानक समाजविज्ञान कोश प्रमाणित हो, ताकि हिन्दी तथा समाजविज्ञान दोनो विधाओ की समुचित सेवा हो सके | पाठको की सेवा के लिए जटिल-से-जटिल विचारो और शब्दो को सहज, सरल और सरस ढंग से रखने की कोशिश की गयी है | विवादास्पद तथ्यो और विचारो को निष्पक्ष एवं वस्तुपरक ढंग से रखने की पूरी कोशिश की गयी है | सभी प्रकार के पाठक, यथा-विद्यार्थी, शिक्षक, पत्रकार, लेखक आदि इसे एक आधिकारिक कृति के रूप मे प्रयोग मे ला सकते है |