अनुसंधान कार्य का उचित यिान्वयन और उसकी गुणवेंाा पूरी तरह से अनुसंाानकेंर्ााओं की अनुसंधान अभिक्षमताओं पर निर्भर करती है। अनुसंधान सम्बन्धी इस अभिक्षमता तथा कौशल के विकास का कार्य अनुसंधानकेंर्ााओं के विद्यार्थी जीवन से ही प्रारम्भ किया जाना चाहिये ताकि वे समय से ही अनुसंधान की वास्तविक प्रफ्ति तथा उसके यिान्वयन के वैज्ञानिक ढंग से भलीभाय्ति परिचित होकर अपने शोध कायो को उचित अंजाम दे सकें। प्रस्तुत पुस्तक में व्यावहारिक विज्ञानों के अनुसंधान अध्ययनों के यिान्वयन से सम्बन्धित विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए यही प्रयत्न किया गया है कि विद्यार्थी शोाकेंर्ााओं तथा शोा के इच्छुक व्यवसायियों के लिये शोध अध्ययन करने हेतु आवश्यक आाारभूमि एवं विाितन्त्र की जानकारी उचित रूप में उपलब्ध हो सके।
यद्यपि मूलरूप से इसे शिक्षा, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, प्रबन्धन तथा शारीरिक शिक्षा आदि विषयों के स्नातकोेंार कक्षाओं में अध्ययन तथा शोधरत विद्यार्थियों के लिये लिखा गया है, परन्तु यह व्यवसायरत व्यक्तियों की अनुसंधान आवश्यकताओं को भी पूरा करने में यथेष्ट रूप से सक्षम है।
मुख्य आकर्षण
• व्यावहारिक विज्ञानों में अनुसंधान करने के लिये आवश्यक कार्यप्रणाली का विवरण प्रदान करने वाली विषयवस्तु का तार्किक एवं मबद्ध प्रस्तुतीकरण।
• पाठ्यसामग्री के उचित प्रस्तुतीकरण एवं बोधगम्यता हेतु दृष्टांतों, तालिकाओं, रेखाचित्रों, आरेखों एवं कार्यकारी उदाहरणों का समावेश।
• परिमाणात्मक एवं गुणात्मक अनुसंधान अध्ययनों में प्रयुक्त आवश्यक प्रदेंा संकलन उपकरणों के उपयोग, निर्माण तथा मानकीकरण का विस्तृत परिचय।
• परिमाणात्मक एवं गुणात्मक अनुसंधानों के प्रदेंाों का विश्लेषण करने हेतु प्रयोग में लाई जाने वाली तकनीकों एवं विधियों की उपयोगी और कार्यकारी जानकारी।
• परिमाणात्मक एवं गुणात्मक अनुसंधान करने हेतु कंप्यूटर तकनीकी के उपयोग पर आधारित एक सम्पूर्ण अध्याय की प्रस्तुति।