पाठकों को अधिगम एवं विकास मनोविज्ञान से जुड़े हुये विभिन्न पक्षों के बारे में समुचित ज्ञान कराती हुई यह पुस्तक उन्हें वृद्धि उन्मुख बालकों के सर्वांगीण विकास में सहायता करने में उचित भूमिका निभा सकती है | पुस्तक की विषय सामग्री को उसके सरल, रोचक एवं सुव्यवस्थित क्रम में ३५ विभिन्न अध्यायों में समाहित कर प्रस्तुत किया गया है | आरंभ में जहाँ इसमें शिक्षा मनोविज्ञान, वृद्धिशील बालकों की विकास प्रक्रिया तथा उससे जुड़ें हुये आवश्यक संप्रत्ययों जैसे उनके अधिगम, बुद्धि, अभिरुचि, अभिवृत्ति आदि पर प्रकाश डाला गया है वहीं इसके पशचात कुछ अन्य महत्वपूर्ण अवधारणाओं जैसे वैयक्तिक भेदों, अधिगम शैलियों, अधिगम अक्षमताओं, सृजनात्मकता, व्यक्तित्व, मानसिक स्वास्थ, समायोजन, मार्गदर्शन एवं परामर्श, सामाजिक समूहों तथा सामाजिक गतिशीलता आदि पर समुचित रूप में चर्चा की गयी है | शिक्षा विषय तथा अध्यापक शिक्षा से जुड़े हुये एम. एड. तथा एम. ए. (शिक्षा) के विद्यार्थियों हेतु यह पुस्तक उचित रूप से सहायक सिद्ध होगी | इसके अतिरिक्त बी. एड.के विद्यार्थी भी इस पुस्तक का लाभ उठा सकते है |
मुख्य आकर्षण
• पाठ्रयक्रम के सभी प्रकरणों पर विस्तृत एवं व्यावहारिक चर्चा |
• अधिगम एवं विकास संबंधी विभिन्न सिद्धान्तों की समुचित प्रस्तुति एवं समीक्षा |
• महत्वपूर्ण अवधारणाओं जैसे हैविगेरस्ट द्वारा वर्णित विकासात्मक कार्य, संवेगात्मक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक बुद्धि, रचनात्मकवाद एवं रचनात्मकवादी अधिगम, उपलब्धि अभिप्रेरणा, अधिगम अक्षमतायें, अधिगम अक्षमतायें, सृजनात्मक्ता सिद्धान्त आदि का समुचित प्रस्तुतीकरण |
• विषय सामग्री का सरल एवं बोधगम्य भाषा एवं रोचक शैली में प्रस्तुतीकरण |
• उदाहरणों, चित्रोँ तथा तालिकाओं की यथोचित समाविष्टि |
• पुनरावलोकन हेतु प्रत्येक अध्याय के अंत में उसका सार - संक्षेप |