विद्यार्थियों के अधिगम एवं शिक्षण से जुड़ी हुई विभिन्न अवधारणाओं तथा उपलब्ध सिद्धान्तों का पुस्तक में आवश्यक विस्तार एवं गहराई से उपयुक्त विवेचन एवं स्पष्टीकरण किया गया है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् के द्वारा प्रदत्त दिशा निर्देशों के तहत जिस प्रकार के अध्यापक प्रशिक्षण पाट्यक्रम का निर्धारण अधिगम एवं शिक्षण विषय हेतु किया गया है उस सभी की आवश्यकता पूर्ती इस पुस्तक द्वारा अच्छी तरह संभव है। अपने शुरुआती चरण में अधिगम की प्रकृति और महत्ता पर प्रकाश डालती हुई यह पुस्तक व्यवहारवादियों, संज्ञान एवं सृजनात्मकतावादियों तथा मानवतावादियों द्वारा प्रतिपादित सभी मुख्य अधिगम सिद्धांतों को उचित रूप में सामने लाती है। इसके अतिरिक्त इसमें विद्यार्थियों के शिक्षण और अधिगम कार्यों से जुडी हुई बहुत ही महत्वपूर्ण नवीन अवधारणाओं तथा जानकारी जैसे शिक्षण - व्यूह, रचनायें, शिक्षण विज्ञानं, वयस्क शिक्षण विज्ञानं, शिक्षण प्रतिमान, अधिगम शैलियां, इ-लर्निंग, तथा म-लर्निंग और सूचना एवं सम्प्रेषण तकनिकी के अधिगम एवं शिक्षण क्षेत्रों में उपयोग आदि की भी आवश्यक चर्चा की गयी है।
मुख्य आकर्षण
• सभी भारतीय विश्वविद्यालयों द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम की आवश्यकतापूर्ति में पर्याप्त रूप से सक्षम।
• पाठ्यवस्तु के बोधगम्य प्रस्तुतीकरण हेतु समुचित मात्रा में चित्रों, तालिकाओं तथा उदाहरणों की समाविष्टि।
• प्रकरण एवं अध्यायों के संगठन में पर्याप्त क्रमबद्धता एवं व्यवस्थितिकरण।
• प्रत्येक अध्याय के अंत में पुनरावृत्ति हेतु आवश्यक सार-संक्षेप।
लाभार्थी पाठक वर्ग
• बी.एड. तथा बी.ल.एड. के विद्यार्थी।
• एम. एड., एम. ए. (शिक्षा) तथा एम. फिल. (शिक्षा) विद्यार्थी।
• कार्यरत अद्यापक गण तथा विद्यार्थी विकास से जुड़े परामर्शदाता एवं निर्देशक।