अपने में निहित विस्तृत और उद्देश्यपूर्ण सार्थक विषय सामग्री को प्रस्तुत करती हुई यह पुस्तक अपने पाठकों को ऐसे आवश्यक ज्ञान और कौशल से युक्त करने में सक्षम है जो उन्हें विकासशील बालकों को उनके विकास के उच्चतम शिखर पर आसीन होने में सहायता करने के साथ-साथ उन्हें अपने समाज और राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्वों के निर्वहन में भी पर्याप्त रूप से सहायक सिद्ध हो सके। अपने इस उद्देश्य की पूर्ती हेतु इसमें उन सभी प्रकरणों पर उचित रूप से प्रकाश डाला गया है जो बालकों में उनकी विभिन्न अवस्थाओं में होने वाले वृद्धि एवं विकास, उनकी विकास सम्बन्धी आवश्यकताओं तथा विशेषताओं, बुद्धि, सृजनशीलता तथा व्यक्तित्व विकास सम्ब्नधि आवश्यक बातों तथा बढ़ती हुई आयु सम्बन्धी व्यवहार समस्याओं, समायोजन तथा मानसिक स्वास्थ्य, तनावपूर्ण परिस्तिथियों सम्बन्धी जानकारी और उनके समाधान में सहायक हों। इसके साथ-साथ इसमें माता-पिता द्वारा बालकों के पालन-पोषण हेतु अपनाये जाने वाले तरीकों तथा उन सभी बातों की जानकारी देने का प्रत्यन किया गया है जो आज के इस औद्योगिक, वैशवीकरण, शहरीकरण, आधुनिकीकरण तथा आर्थिक परिवर्तनों के तीव्रगामी दौर में विकासशील बालकों को उनके विकास पथ पर आरूढ़ रखने के लिये चाहिए।
मुख्या आकर्षण
• आज की दौर के बहु-चर्चित प्रकरणों जैसे संवेगात्मक बुद्धि तथा बाल-अध्ययन में सहायक परावर्ती जर्नल्स, उपाख्यात्मक अभिलेख, कथात्मक विवरण आदि विधियों तथा अंदरूनी महत्त्वपूर्ण प्रकरणों का समावेश।
• बाल विकास, अधिगम, बुद्धि, उपलब्धि-अभिप्रेरणा, सृजनात्मकता तथा व्यक्तित्व विकास सम्बन्धी सिद्धांतों पर विस्तृत चर्चा।
• आवश्यक स्पष्टीकरण तथा बोधगम्यता हेतु उचित संख्या में चित्रों, तालिकाओं तथा अध्याय विशेषों के अंत में सार-संक्षेप का प्रस्तुतीकरण।
लाभार्थी पाठक वर्ग
• बी.एड., तथा बी.ल.एड. के विद्यार्थी
• एम. एड., एम. ए. (शिक्षा) तथा एम. फिल. (शिक्षा) विधार्थी
• कार्यरत अध्यापक गण तथा विद्यार्थी विकास से जुड़े परामर्शदाता एवं निर्देशक