राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् के दिशा निर्देशों के तहत प्रस्तुत पुस्तक अपने पाठकों को उनके विद्यार्थियों के मूल्याङ्कन या आकलन से जुडी हुई ऐसी सभी जानकारी और कौशलों से युक्त करने में सक्षम है जिसमें वे उन्हें उनके द्वारा किये जाने वाले अधिगम सम्बन्धी कार्य को इस तरह आगे बढ़ाने में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान कर सकें ताकि उनके अधिगम हेतु प्रयुक्त शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया से वंचित परणामों की उचित रूप में उपलधि सम्पन्न हो सके। इस सन्दर्भ में इसमें काफी महत्त्वपूर्ण प्रकरणों जैसे ब्लूम द्वारा प्रदत्त नवीनतम अनुदेशात्मक उद्देश्यों का वर्गीकरण, उपलब्धि एवं निदानात्मक परीक्षणों का निर्माण एवं प्रमाणीकरण, परीक्षा एवं मूल्यांकन सम्बन्धी नीतिगत परिप्रेक्ष, नवीनतम मूल्यांकन विधाएँ जैसे पोर्टफोलियो आंकलन, रूबिक्स का निर्माण एवं उपयोग आदि पर विस्तार से चर्चा की गयी है। साथ ही इसमें मूल्यांकन क्षेत्र में तेज़ी से पदार्पण करती हुई प्रवृत्तियों जैसे कंप्यूटर आधारित ऑनलाइन परीक्षा, माँग आधारित परीक्षा, खुली पुस्तक परीक्षा, विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली तथा विद्यार्थियों के विश्लेषण और अर्थापन हेतु काम में लाई जाने वाली सांख्यिकी विधियों का भी वर्णन किया गया है।
मुख्य आकर्षण
• निर्धारित पाठ्यक्रम के सभी बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा और उचित स्पष्टीकरण।
• पाठ्य सामग्री का उचित नियोजन, संगठन एवं व्यवस्थितिकरण।
• बोधगम्यता हेतु आवश्यक चित्रों, तालिकाओं तथा उदाहरणों का समावेश।
• प्रत्येक अध्याय के अंत में पुनरावृत्ति हेतु अध्याय सार-संक्षेप।
लाभार्थी पाठक वर्ग
• बी.एड. तथा बी.ल.एड. के विद्यार्थी
• एम .एड., एम्. ए. (शिक्षा) तथा एम. फिल. (शिक्षा) विद्यार्थी
• कार्यरत अध्यापक गण तथा विद्यार्थी विकास से जुड़े परामर्शदाता एवं निर्देशक