राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् के दिशा-निर्देशों पर आधारित यह पुस्तक पाठकों को उस आवश्यक जानकारी, कौशल, रुचि तथा अभिवृत्ति से युक्त करने में सक्षम है जो उन्हें समेकित विद्यालयों में अपने कर्त्तव्य निर्वहन हेतु चाहिए। इस सन्दर्भ में इसमें विभिन्न महत्त्वपूर्ण प्रकरणों एवं अवधारणाओं पर उचित रूप से प्रकाश डाला गया है जैसे समेकित विद्यालय के विद्यार्थियों में पाई जाने वाली अक्षमताओं, अपंगताओं, विभिन्नताओं तथा विशिष्टताओं की प्रकृति तथा इसके अनुरूप उनकी शिक्षा, समायोजन तथा विकास को उपयुक्त रूप प्रदान करने में सहायक विभिन्न बातों जैसे कि वातावरण जन्य परिस्थितियां, पाठ्यक्रम, शिक्षण-अधिगम व्यूह-रचनाओँ, शिक्षण-अधिगम सामग्री तथा संसाधनों, विविधता युक्त बालकों की प्रगति के मूल्यांकन हेतु प्रयुक्त विधियों तथा ऐसी कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण पहलुओं के सन्दर्भ में आवश्यक समायोजन तथा अनुकूलन बनाये रखने आदि की भी आवश्यक चर्चा की गई है ताकि उन्हें समेकित विद्यालयों में अपने कर्त्तव्य निर्वहन में यथोचित सहयोग मिल सके।
मुख्य आकर्षण
• भारतीय विश्वविद्यालयों द्वारा निर्धारित बी.एड., बी.ल.एड. तथा डी.एड. पाठ्यक्रमों की उचित रूप में आवश्यकता पूर्ती।
• समेकित शिक्षा और विशेष आवश्यकताओं से युक्त बालक-बालिकाओं से सम्बंधित विभिन्न आवश्यक बातों जैसे अपंगता तथा समेकित शिक्षा का ऐतिहासिक परिप्येक्ष, इन बालक-बालिकाओं की शिक्षा हेतु प्रयुक्त शिक्षण और मूल्यांकन उपागम तथा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्टार पर इनके किये जाने वाले शैक्षिक प्रावधानों के बारे में आवश्यक चर्चा।
• समेकित विद्यालयों में विशेष आवश्यकताओं और विविधताओं से युक्त बालक-बालिकाओं की शिक्षा और समायोजन सम्बन्धी नवीनतम बातों जैसे उनके अधिगम में प्रयुक्त शैलियाँ, विद्यालय शिक्षा व्यवस्था में उनका समेकेतिकरण तथा पृथकीकरण, वैयक्तिक शिक्षा कार्यक्रम, सहायक एवं अनुकूल तकनिकी आदि के उपयोग के बारे में आवश्यक चर्चा।
• पाठकों के अनुकूल उपयुक्त भाषा तथा वर्णात्मक शैली का उपयोग।
लाभार्थी पाठक वर्ग
• बी.एड., तथा बी.ल.एड. के विद्यार्थी
• एम. एड., एम. ए. (शिक्षा) तथा एम. फिल. (शिक्षा) विधार्थी
• कार्यरत अध्यापक गण तथा विद्यार्थी विकास से जुड़े परामर्शदाता एवं निर्देशक